जागेश्वर धाम उत्तराखंड के अल्मोडा जिले में स्थित शांत मंदिर शहर, जागेश्वर 100 से अधिक मंदिरों का एक समूह है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित हैं। ये मंदिर बेहतरीन वास्तुकला को दर्शाते हैं और हरे-भरे पहाड़ों और चमचमाती जाट गंगा धारा की पृष्ठभूमि में स्थापित हैं।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के तहत संरक्षित एक विरासत स्थल, मंदिर परिसर में लगभग 125 मंदिर और लगभग 174 मूर्तियां हैं, जिनमें भगवान शिव और पार्वती की मूर्तियां भी शामिल हैं। इनमें से कुछ मंदिरों की दीवारों और स्तंभों पर 25 से अधिक शिलालेख पाए गए हैं। एएसआई के मुताबिक, ये मंदिर करीब 2,500 साल पुराने होने का अनुमान है। इनका अधिकांश निर्माण और जीर्णोद्धार कत्यूरी वंश के राजाओं द्वारा किया गया था।
पिछले वर्षों में यहाँ एक लाल बलुआ पत्थर का स्तंभ भी खोजा गया है जिस पर मानव और आध्यात्मिक आकृतियाँ उत्कीर्ण हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस स्तंभ का निर्माण पहली शताब्दी ईसा पूर्व में हुआ था।
जागेश्वर में अगस्त के महीने में जागेश्वर मानसून महोत्सव के दौरान और वसंत ऋतु में शिवरात्रि मेले के दौरान भीड़ उमड़ती है। अगर आप भी जागेश्वर धाम जाना चाहते हैं तो रूट जान लें। जागेश्वर धाम दिल्ली से करीब 400 किमी दूर है। इसके लिए आप ट्रेन या बस से काठगोदाम तक का सफर कर सकते हैं। इसके अलावा निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर है। इसके बाद जागेश्वर तक का 120 किमी का सफर बस या टैक्सी से तय करना होगा। यहां रहने और खाने की उचित व्यवस्था है।